सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और यह समय भक्ति, तपस्या और साधना का प्रतीक माना जाता है। इस वर्ष सावन शिवरात्रि 23 जुलाई 2025 को बड़े श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई जाएगी।
यह रात केवल उपवास और पूजा का समय नहीं होती, बल्कि यह एक आध्यात्मिक जागरण का अवसर होती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव स्वयं अपने भक्तों के करीब होते हैं और उनकी प्रार्थनाएं सुनते हैं।
सावन शिवरात्रि का महत्व
सावन महीना शिव को समर्पित तो होता ही है, लेकिन सावन की शिवरात्रि का स्थान विशेष है।
- कहा जाता है कि शिव और शक्ति के मिलन से ही सृष्टि का संतुलन बना रहता है।
- इस रात को किए गए व्रत और पूजा से मानसिक शांति, सुख और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- यह दिन भक्ति के साथ आत्मशुद्धि और आत्म-साक्षात्कार का भी समय होता है।
पूजा विधि व उपवास नियम
सावन शिवरात्रि पर व्रत रखना और रात्रि जागरण करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
पूजा की विधि इस प्रकार है:
- प्रातः स्नान कर के शिवलिंग का जल और दूध से अभिषेक करें।
- बेलपत्र, धतूरा, भस्म और पुष्प अर्पित करें।
- “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें।
- रात्रि भर जागरण कर शिव भजन और मंत्रों का पाठ करें।
- अगली सुबह ब्रह्म मुहूर्त में व्रत का समापन करें।
चंद्रमा और शिवरात्रि का आध्यात्मिक संबंध
23 जुलाई की रात चंद्रमा अपनी निम्न स्थिति (नीच राशि) में होता है, जिसे आध्यात्मिक रूप से बहुत प्रभावशाली माना जाता है।
शिवलिंग पर जल चढ़ाना मन की अशांति और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।
इस रात को की गई पूजा से —
- विवाह, संतान, करियर या मानसिक पीड़ा जैसी समस्याओं में राहत मिलती है।
- यह आत्म-संयम और तपस्या का समय भी होता है।
अपने अंदर के शिव को जागृत करें
भगवान शिव ने विष पिया, लेकिन सृष्टि की रक्षा की। उसी प्रकार, हम भी अपने अंदर के दर्द, क्रोध, अहंकार और विकारों को शिव को समर्पित कर सकते हैं और एक शुद्ध, शांत और शक्तिशाली स्वरूप पा सकते हैं।
सावन शिवरात्रि सिर्फ एक तिथि नहीं, यह जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का अवसर है।
सावन शिवरात्रि 2025: तारीख और मुहूर्त
- तिथि: कृष्ण पक्ष चतुर्दशी
- दिन: बुधवार, 23 जुलाई 2025
- निशीथ काल पूजा मुहूर्त: रात 12:06 बजे से 12:48 बजे तक (24 जुलाई)
- व्रत एवं जलाभिषेक: 23 जुलाई की सुबह से लेकर 24 जुलाई ब्रह्म मुहूर्त तक
शिव भक्ति से भर जाए जीवन
इस सावन शिवरात्रि पर अपने जीवन के सभी संकट, दुख और अशांति को शिव जी के चरणों में अर्पित करें। यह पावन रात आत्मचिंतन और ईश्वरीय ऊर्जा से जुड़ने का अमूल्य अवसर है।
हर हर महादेव!
ॐ नमः शिवाय!